हर दर्द का गर ईलाज हो

हकीम ने कहा, जहां दर्द हो, जहां चोट हो

वहां बार- बार ना हाथ रख

उस दर्द का,उस ज़ख्म का

कुछ मुमकिन गर ईलाज हो

वो इलाज़ कर ना उदास हो

मरीज़ ने फिर पूछ ही लिया

क्या करे कोई जब दर्द ही लाईलाज हो

कादंबरी

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