पत्थर पर जब तक आघात ना लगे
वह एक ‘शिला’ है
किंतु जब आघात सही समय और सधे हाथों
से लगे तब वह शिला नहीं
‘शिलाकृति’ है
हर चोट जो उस पत्थर ने सहा
वह चोट सहकर ही उसे सब कुछ मिला है
Kadambari Kishore
पत्थर पर जब तक आघात ना लगे
वह एक ‘शिला’ है
किंतु जब आघात सही समय और सधे हाथों
से लगे तब वह शिला नहीं
‘शिलाकृति’ है
हर चोट जो उस पत्थर ने सहा
वह चोट सहकर ही उसे सब कुछ मिला है
Kadambari Kishore