माटी

सफलता भी देखिए

देखिए कई पहलू हैं इसके

अपना और अपनों को भूलकर

एक दुनिया, दूसरे हिस्से में दुनिया की

अपनी माटी को कभी छुआ

कब छुआ याद नहीं

उस दुनिया की माटी

को छूकर अब सब धुला -धुला सा लगा

जो लोरियाँ माँ की थी

याद रहीं या नहीं

याद नहीं

जी जान लगाएं हैं

वहाँ की बोलियों में

हम कहते हैं लेकिन

जहाँ हम हैं

देश वहीं हैं

जहाँ हम जाएंगे

माटी की खुशबुओं

को साथ लेकर जाएंगे

Kadambari Kishore

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