राह लम्बी थी
रात काली थी
वो रास्तों पर डरी- सहमी चलती जा रही थी
ये सब बातें
बीते कल की बातें हैं
इसमें यह बात नयी, निराली थी
अब मंज़िल का पता है उसे
राहें भी रौशन हैं
अब वो डरी- सहमी नहीं
राहों पर मस्त -मगन जा रही थी
Kadambari Kishore
राह लम्बी थी
रात काली थी
वो रास्तों पर डरी- सहमी चलती जा रही थी
ये सब बातें
बीते कल की बातें हैं
इसमें यह बात नयी, निराली थी
अब मंज़िल का पता है उसे
राहें भी रौशन हैं
अब वो डरी- सहमी नहीं
राहों पर मस्त -मगन जा रही थी
Kadambari Kishore