मजदूर की मजबूरी
किसने समझी
मीलों चले भूखे पेट
चलते ही रहे नंगे पैर
मिले या ना मिले कोई ठौर
शाम हुई या हो गयी भोर
इसका फर्क समझे बगैर
चलते रहे क्योंकि वे थे मजदूर
हालात ने उन्हें करना चाहा मजबूर
लेकिन इनकी इच्छाशक्ति है मजबूत
Kadambari
मजदूर की मजबूरी
किसने समझी
मीलों चले भूखे पेट
चलते ही रहे नंगे पैर
मिले या ना मिले कोई ठौर
शाम हुई या हो गयी भोर
इसका फर्क समझे बगैर
चलते रहे क्योंकि वे थे मजदूर
हालात ने उन्हें करना चाहा मजबूर
लेकिन इनकी इच्छाशक्ति है मजबूत
Kadambari