प्रमेय

प्रमेय है तू या समीकरण

रेखागणित या अंकों का उलझा-सुलझा

सवाल जिसे समझ कर भी ये भय रहता है

कि समय रुपी गुरू के सामने कोई कमी ना रह जाये

तू कोई कोण, त्रिभुज, चतुभुर्ज या षट्कोण

सा समझने में जटिल, देखने में सरल

लगे ऐसा कुछ रेखाएं बस एक-दूसरे को या तो काट रही हैं

या फिर एक दूसरे के समानान्तर पडी़ हैं

सरल, निस्वार्थ भाव से

लेकिन है बिल्कुल गणित सा

समझे तो सम्पूर्णता का साथ

समझने में चूके तो

एक टीस सी रहेगी मन में

Kadambari

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