स्त्री की पहचान…
एक बेटी..
एक बहन…
एक पत्नी..
या फिर प्रेमिका
या माँ
या फिर चरित्रवान
या फिर वेश्या
इन सबसे भी अलग एक पहचान है उसकी
क्योंकि उसके सीने में चलती सांस है उसकी
उसकी भी खुद से जुडी़ आस है उसकी
आप चाहे जिस नज़र से देखें
अपनी नज़रों में सम्मान है उसकी
एक सत्य और…. औरत के लिये औरत
की ही आँखों में सवाल ऐसे
जो ना जाने बातें करती हैं कैसी-कैसी
Kadambari Singh