सब कुछ जब शांत हो
कहने के लिए बहुत कुछ
सुनने के लिए भी कुछ
लिखने के लिए अनगिनत बातें हो
और फिर भी कुछ लिख ना सको
कुछ कह ना सको
कुछ बोल ना सको
तब मौन रहना
हो सकता है शांत नदी की भांति
अंदर के तूफानों को
भावनाओं की भवरों को
संभाल सको उस उसी नदी के जैसे
Kadambari Kishore