कल रात जो सारी रात
वह पहाड़ों को तोड़ती रही
दरअसल वह सपना नहीं
वह बीते कल के पत्थरों को तोड़ रही थी
जो उसके आज के मार्ग की बाधा थी
कल रात जो सारी रात
वह पहाड़ों को तोड़ती रही
दरअसल वह सपना नहीं
वह बीते कल के पत्थरों को तोड़ रही थी
जो उसके आज के मार्ग की बाधा थी