आधार

क्या जीवन की त्रास रही

जो भी मन में आस रही

क्या खोया, क्या पाया

इसकी भी क्या तलाश रही

जो मिला उसे कैसे अपनाया

जो नहीं मिला उसे कैसे बिसराया

उन क्षणों में कैसे अड़िग, अचल रही

किसी आधारविहीन पलों में

किस आधार रही

यही लेखनी का आधार रही

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