आकाश की सीमा अनंत
समंदर में जलराशि विशाल
गगन में तारे अनगिनत
मानव की गणना संभव
किंतु उसकी इच्छाएँ असीमित
इन सब अनंत, असीमित तत्वों में भी
एक महीन सी रेखा है
जहाँ प्रकृति क्षितिज के रूप में
गगन और जलधि का सीमांकन करती है
लेकिन इन सब सीमाओं में बंधा मानव
असीमित, अपरिमित, अनंत के
स्वप्न में जीता है जीवन
है ना अद्भुत
Kadambari Kishore