किरदार

कविताओं की दुनिया में कल्पनायें बहुत हैं कहानी की दुनिया में हकीकत ज्यादा है वैसे ये कहने की बातें हैं कल्पना और हकीकत सब जगह कमोबेश कम ज्यादा हैं हर फर्क़ बस इतना कहानी में किरदार छुप नहीं सकते कविता में श्रृंगार ज्यादा है लेकिन अब कलम कहती है लिख दे जो लिखना चाहे तेरे… Continue reading किरदार

कविताएं

कविताएं बस लिख दी जाती हैं जब ये भावनाओं की लड़ियों में खुद ही खुद को पिरो कर आती हैं कागज़ पर कलम सुध-बुध खोकर इन्हें सजाती जाती हैं कविताएं अतिथि सी हैं बिना बताये अकस्मात् चली आती हैं Kadambari Kishore

हार-जीत

जब मैं ये कहूँ “मैं हारी नहीं “ तो तुम ये कह देना ‘तुम जीत गई ‘ यकीन मानो मैं जो वक़्त से जीत गई खुशी-खुशी हार जाऊँगी तुमसे Kadambari Kishore

सदका

अदब में हो या की सदका सर उतना ही झुकाइये की जिस दर पर झुके उन्हें ये ना लगे “है आपके पास और दर ही कहाँ आते हैं तो आइये चले आइये “ हमसे ना सही कम से कम परवरदिगार से खौफ खाइये Kadambari Kishore

तू जब भी मिली

ज़िन्दगी तू जब भी मिली टुकड़ों में मिली कभी ख्यालों में मिली कभी एक टुकड़ा सा हकीकत में मिली कभी गली कभी चौराहों में मिली कभी नज़्म कभी बज़्म तो कभी किताबों में मिली मिली कभी अपनी सी कभी गैरों सी मिली कभी दैर-ओ -हरम तो कभी मयखानों में मिली तू मिली हर जगह अलग… Continue reading तू जब भी मिली

अच्छा है ना कवि होना

कवि कविताओं के जरिये अपनी भावनाओं को जिंदा रखता है कविताओं के जरिये भावनाएं नहीं मरती असमय काल चक्र में फँसकर अच्छा है ना कवि होना जीवन का वाहक बनना Kadambari Kishore

आज की जरूरत

अपने कल को अपने आज के झरोखे से देख सको दुनिया की भीड़ में अपनी एक दुनिया लिये तो उदास मत होना कभी -कभी अपने कल पर मुस्कुराते हुए अपने आज के साथ निकल जाना हिम्मत है अपनों को हंसाते रहना आज की जरूरत है Kadambari Kishore

नदी के जैसे

सब कुछ जब शांत हो कहने के लिए बहुत कुछ सुनने के लिए भी कुछ लिखने के लिए अनगिनत बातें हो और फिर भी कुछ लिख ना सको कुछ कह ना सको कुछ बोल ना सको तब मौन रहना हो सकता है शांत नदी की भांति अंदर के तूफानों को भावनाओं की भवरों को संभाल… Continue reading नदी के जैसे

चीख

स्त्रियों पर स्त्रीत्व के बोझ की जगह स्वतंत्रता और समानता पुरुषों में पुरुषत्व की जगह सभ्यता और स्त्री के शरीर की जगह इंसान और इंसानियत सीखाया होता तो निर्भया, हाथरस और ना जाने कितनी चीखों से भागकर मुँह छिपाना ना पड़ता Kadambari Kishore

शिक़वा

हम जीते ऐसे है जैसे मरेंगे नहीं जबकि जीना ऐसे चाहिए कि मौत के वक़्त ज़िन्दगी शिक़वा ना करे तूने मुझे जीया ही नहीं तूने क्यूँ मुझे वक़्त दिया ही नहीं Kadambari Singh