आप अकेली हैं ?

आप अकेली हैं ? आप अकेली रहेंगी ? आप तो समझदार हैं आप तो जान ही रही हैं!! समझ ही गयी होंगी!! ये सारे सवाल इस कदर इतनी आसानी से पूछे जाते हैं जैसे किसी की जिंदगी से जुड़े सवाल नहीं मुल्क और उसके बीते कल और आने वाली नस्लों की खुशियों का सवाल है… Continue reading आप अकेली हैं ?

वसीयत का सवाल

वसीयत में तू क्या दे गया होगा ? हक जताने के लिये मैंने क्या रख लिया होगा? क्या-क्या चाहिए एक पूरा हिसाब कर रखा होगा तू गवाही देगा खुद-ब-खुद वक्त की शक्ल में कुछ पुराने कागज, एक पुराना प्रेम पत्र जो नि:संदेह मेरे लिए नहीं लिखा गया था एक डायरी, डायरी में लिखी कुछ शायरी… Continue reading वसीयत का सवाल

बसंत

इस बार कुछ तो खास है कुछ नयी बात है बरसों से रुठे पल हिमगिरी में दबे पल को घर लौटने की आस है बसंत को भी इस बार ‘बसंत ऋतु’ से आस है Kadambari

धरती या आकाश

धरती या आकाश ? तू पूछे कभी काश!!! खुदा कभी मुझसे तो झट से कह दूँ मैं मुझे बनना है आकाश क्यूँ बनना है तुझे धरती नहीं आकाश ? तू पूछे मुझसे खुदा कभी काश !!! तो झट से कह दूँ मैं अपने आँचल में समेटे हैं मैंने वर्षा , शीत और पतझड़ में टूटे… Continue reading धरती या आकाश

साया/ हमसाया

साया ही है हमसाया घूप-छाँव से फंसती निकलती अपने-पराये से बचती निकलती सुख में हों या दुख में हर पल अपना साथ है देती ज्ञानी- अज्ञानी, गुणी-निर्गुण, स्वच्छ-निर्मल सब परिभाषा से परे साथ है देती साया इसलिए है साया हमसाया Kadambari