वादे करें ही क्यूँ जब हर पल हो उनके टूट जाने का डर या ये वहम कि दे जाएं ना कहीं कोई गम बिन बोले, ख़ामोशी से भी निभ जाते हैं कई वादे दिये बिना कोई गम Kadambari Kishore
Kadambari’s Poetry
कौम
तितलियाँ और मधुमक्खियाँ नहीं थकती बाग़- बाग़ घूमने से शहद और पराग जमा करने से नहीं डरतीं फूलों में छिपे काटों से मुश्किलों का सामना करने से हालात का सामना करने की ये हिम्मत उन्हें अलग रखती है उन्हें उनकी कौम से Kadambari Kishore
मुस्कुराहट
पीछे मुड़कर देखा बीते कल को वक़्त साथ खड़ा मिला जिंदगी मुस्कुराते हुए मिली जो छूट गये वो यादों में मिले इन सबमें सबसे सरल बात यह थी जिंदगी सहेली सी मिली वक़्त की आँखों में आँखें डाले बात हुई थी Kadambari Kishore
पहनावा
अगर पहनावे से सभ्यता आती तब सन्यासी से कुछ सीखने को ना मिलता राजा और धनिक से बड़ा परोपकारी ना कोई होता। Kadambari Kishore
बात
कई बार जब कहने के लिये बहुत कुछ हो उस वक़्त भी हम खामोश हो जाते हैं क्यूँकि समझ नहीं पाते किस बात को पहले कहें किसे बाद में? Kadambari Kishore
मंज़िल
Untitled
Untitled
जंगल
हम इंसानों के पास मान्यताएं हैं परम्पराएं हैं विचार हैं, विचारधाराएं हैं सपनें हैं, भ्रम हैं हम अमीर भी और गरीब भी हैं जंगल, पेड़, पौधे,फूल इनके पास देने के लिये जीवन है इनसे सुरक्षित कल है इनके पास भविष्य है इनसे भविष्य है। Kadambari Kishore
गति
नदी जिसे वर्ष भर जल संजोना हो किनारों को हरा रखना हो जीवन को जीवित रखना हो जिस नदी को महासागर में मिलना हो वह शांत बहेगी अविरल चलती रहेगी लक्ष्य निर्धारित करते हैं गति गति से नहीं निर्धारित होता लक्ष्य Kadambari Kishore