फूल और अलि इनकी बातें गली -गली इस ओर चलीं, उस ओर चलीं करके सबको मदहोश चलीं अलि क्यूँ बावरा उसका है ? फूल उस पर न्योंछावर क्यूँ होश चली ? Kadambari Singh अलि- Black Bee
Kadambari’s Poetry
अनंत की यात्रा
अनंत की यात्रा के यात्री सब ही हैं यहाँ लेकिन इस यात्रा पर स्वयं जाना अपराध हैं उस दुनिया से हारकर जो आपको जीतते हुए नहीं देख सकती Kadambari #SSR #Nepotism in Bollywood
वक़्त के चूल्हे पर
जैसे बनती है चाय घरों में दूध, पानी, चीनी और चाय की पत्ती डालकर पतीला रख दिया जाता है धीमे – धीमे उबलने के लिए या जैसे माएँ भूल जाती हैं पतीला चूल्हे पर रख कर इस तरह, हर तरह से बन ही जाती है चाय मैंने वैसे ही वक़्त के चूल्हे पर शब्दों के… Continue reading वक़्त के चूल्हे पर
हीरा
सौ ऐब ढूंढ ले दुनिया तो समझिये वो हीरा है ना थे लायक उसकी महफ़िल के इसलिये सौ ऐब ढूंढे ज़माने ने Kadambari Singh
आवारगी
आवारगी का एक नमूना ये भी है तन्हाइयों से गुफ्तगू करते हुए चंद नज़्में कागज़ पर उकेर दी जाएं और छोड़ दी जाएं वक़्त के सिरहाने गर नींद खुली और होश कायम रहा वक़्त टटोल कर पढ़ लेगा आवारा शायर की आवारगी की नज़्में और शायद सजा दे उस शायर के लिये बज़्में कौन जाने… Continue reading आवारगी
स्त्री सदैव स्त्री नहीं होती
स्त्रियां सदैव समझ से परे मेरी भी समझ से जब मैं स्वयं एक स्त्री हूँ कई बार लगती वीरांगनाएं कई बार होती वात्सल्य रूपी सरिताएं अनेकों बार देखा है विदुषी रूप में भी लेकिन जब ये आती हैं निकृष्टता पर तब कल्पना से परे अपने निम्नतम स्तर पर होती हैं भय लगता हैं मुझे उस… Continue reading स्त्री सदैव स्त्री नहीं होती
रस्म-ए-वफ़ा
इंसा गर खुदा बन भी जाये तो खुद को खुद से ही मिटाना होगा तुम खुदा नहीं बदलोगे कभी दुनिया वालों ये वादा भी निभाना होगा हर रस्म बदल दी ज़माने की खुद के लिए रस्म-ए-वफ़ा तो खुदा के लिए निभाना होगा Kadambari