सफलता

जो सरलता से मिले वो सफलता नहीं सरलता से मिलने वाली हर चीज सौभाग्य का रुप है जिसे पाने की कल्पना में इंसान अथक प्रयास करे, लोग असंख्य सवाल करें और इस प्रयास पर कभी खुद को संदेह हो जाये इस प्रयास में आप उपहास के भी पात्र बनें आप के मित्रगण नगण्य हो जाएं… सफलता पढ़ना जारी रखें

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मौजूदगी

जिंदगी हवा सी ना दिखती है ना ही हवा के जैसे हम इसे छू पाते हैं लेकिन जैसे हवा की मौजूदगी जरुरी है सांस लेने के लिये, वैसे ही जिंदगी की मौजूदगी में रिश्ते सांस लेते हैं Kadambari Singh

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आज

उसने फिर आज अपनी जु़ल्फें बिखराईं उसने फिर आज मेरी शामें सवारीं उसने फिर आज मुझे कुछ भी ना कहा उसने फिर आज बिन कहे एक दास्तां सुनायी Kadambari Singh

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सतरंग

अंधेरे का कोई वजूद नहीं रोशनी की अनुपस्थिति, उसकी उपस्थिति है और रौशनी की उपस्थिति में उसका रह पाना असंभव है इसलिए हर क्षण साहस की रौशनी जलाये रखिये | Kadambari Singh

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हिस्सा

हम उस समाज का हिस्सा हैं जहाँ प्यार से रहने की बात करते हैं लेकिन प्यार करने से डरते हैं हम उस समाज का हिस्सा हैं जहाँ रिश्ता करके उसमें प्यार ढूंढा जाता है प्यार करके रिश्तों में नहीं बंधा जाता है हम उस समाज का हिस्सा हैं जहाँ प्यार के रिश्ते से ज्यादा रिश्तों… हिस्सा पढ़ना जारी रखें

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कुछ औरतें

जो कहानियाँ कुछ औरतें अपने जिस्म पर लेकर जी लेती हैं वो कहानियाँ गर कागजो़ पर लिखी होतीं तो शायद कागज़ भी दर्द से बिलबिला उठते जो बोझ समाज का जो कुछ औरतें उठाकर जी लेती हैं गर वो बोझ सारे समाज को मिलकर उठाना होता तो शायद औरत ही औरत की बेहतरीन दोस्त होतीं… कुछ औरतें पढ़ना जारी रखें

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मैं या हम

जिस तरह हम में हमेशा ‘हम’ नहीं होता ठीक उसी तरह मैं में हमेशा ‘मैं’ नहीं होता कई बार ‘मैं’ के अफसानों में ‘हम’ की कहानियाँ होती हैं कई बार ‘हम’ के रिश्तों में हम सिर्फ अपने साथ होते हैं लेकिन ये वो पल होते हैं जिनमें जी कर हम वो बनते जो हम कल… मैं या हम पढ़ना जारी रखें

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दहन

रावण को जला कर गर महिलाएँ सुरक्षित होती तो कोई घटनाएँ, दुर्घटनाएँ ना होतीं रावण ही गर बुरा था तो सीता असुरक्षित होती बाकी बहन- बेटियाँ तो सुरक्षित होतीं बरसों से रावण ही जल रहा है लेकिन यह क्या यहाँ सीता ही नहीं लगभग हर स्त्री कहीं ना कहीं असुरक्षित महसूस करती होगी Kadambari Singh

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मुलाकात

जिंदगी से मुलाकात की हर मिन्नतें जिंदगी के साथ की हर मन्नतें जिदंगी बडे़ अदब से ठुकराती रही इसे तहजीब और अदब की तालीम नहीं ये बात मैं खुद को समझाती रही लेकिन उससे अदब से ही पेश आती रही इसलिए शायद आज जिंदगी पूछ रही है “क्यूँ तू हमारी तरफ आती नहीं क्यूँ अपना… मुलाकात पढ़ना जारी रखें

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साहिल

जब भी कोई मौज साहिल से टकराती है एक ही ख्याल आता है, ये मौज इतना हौसला कहाँ से लाती है कि समन्दर का सीना चीर कर साहिल से मिल पाती है क्या बात है ऐसी साहिल में जिस दम साहिल से मिल जाती है अपना वजूद तक दे जाती है Kadambari Singh

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