आज

उसने फिर आज अपनी जु़ल्फें बिखराईं

उसने फिर आज मेरी शामें सवारीं

उसने फिर आज मुझे कुछ भी ना कहा

उसने फिर आज बिन कहे एक दास्तां सुनायी

Kadambari Singh

प्रकाशित
कविता के रूप में वर्गीकृत किया गया है

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