जिन्हें भूख नहीं थी उन्हें रोटी सूखी बेस्वाद लगी जो भूखे थे उन्हें रोटी जिंदा रहने भूख से लड़ने का औज़ार लगी Kadambari Kishore
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कुछ करना पड़ता है
इतिहास में दर्ज़ होने के लिए भीकुछ ऐतिहासिक करना पड़ता हैये दुनिया है और इस दुनिया में रहने के लिएअपनी ही एक दुनिया बनानी पड़ती हैजो रहोगे हमेशा ख़ामोशतो शब्दों पर शोर मचाकर शब्द छीन लेगी यहहै बोलना तुम्हें भी आताये बताने के लिए बोलते रहना पड़ता है Kadambari Kishore
कविताएं
माँ को जब से देखा रसोई में देखा जब रसोई में नहीं देखा तब जाकर कहीं और घर के किसी और कोने में देखा और पिता धूप -ताप सब सहते देखा सुख -दुःख में अड़िग साथ खड़े देखा ******************************* भीड़ साथ नहीं देती पहचान भी नहीं देती अकेले चलने में साथ और पहचान दोनों अपनी… Continue reading कविताएं
आईना
आईना हमें नहीं देखता हमें अपना ही अक्स दिखाता है आईना आईना है महज़ एक काँच का टुकड़ा मगर बिना कुछ कहे, हमसे ही हमारी मुलाक़ात कराता है आईना Kadambari Kishore
कुछ खास
हर बार या यूँ कहें कई बार बहुत सी जरूरी बातें अनदेखी रह जाती हैं जैसे पेड़ को देखते समय बीज घर को देखते समय नींव रोटी को देखते समय गेहूँ चावल में छिपा धान खाने में बसा माँ का प्यार पिता की उपस्थिति में बसी सुरक्षा प्रिय के मौन में तरंगित प्यार व्यवहार में… Continue reading कुछ खास
अकेली औरतें
औरतें जो नहीं बाँट रही होती ससुराल-मायके के किस्से नहीं जा रही होती आँचल को संभाले बिना गजरा, काजल और बिंदी जो नहीं भागती बच्चों की उँगलियों को पकड़े वो भी स्त्री ही होती हैं और अपने स्त्रीत्व की रक्षा के लिए पुरुष भी स्वयं होती हैं क्योंकि ‘अकेली स्त्री’ ये शब्द ही बहुत है… Continue reading अकेली औरतें
इंतज़ार
एक रात की बात होती तो जाने भी देते तेरी खातिर बरसों से दिन को रोके बैठे हैं एक तेरी खातिर दिन, साल, महीने सब तेरी इंतज़ार में रोके बैठे हैं Kadambari Kishore
खेल है सब
जब वो कहें किस्मत का खेल है सब सबसे पहले पूछना ना भूलना किस्मत सिर्फ तुम्हारी थी या औरों की भी होती है फिर जब वो तुम पर दोष दें जरूर पूछना क्या वे निर्दोष हैं जिन्होंने तुम्हें दोषी कहा और जब यह करना स्त्री-पुरुष की भावना से परे मानव के नाते मानवता के वास्ते… Continue reading खेल है सब
दोस्ती
जीवन जब भी रूलाने की कोशिश करे दोस्तों के पास, उनके साथ वक़्त गुजारिये वक़्त जो कटता नहीं वो गुजर जायेगा यक़ीनन आप उसे जाने भी ना देना चाहेंगे वक़्त के दिये आँसू हँसी में तब्दील हो जायेंगे Kadambari Kishore
अनजान औरतें
किसी ने कहा ‘कहीं खोई लगती हो’ किसी ने कहा ‘जिंदा लाश सी क्यूँ हो’ मैंने कहा “तुम जाने -अनजाने बहुतों का हौसला हो लेकिन क्यूँ मुझे तुम इन बातों से अनजान लगती हो “ मगर तुम मेरे लिए पूरा आसमान लगती हो Kadambari Kishore