तुम

कविताएं मेरे लिये उतनी ही जरूरी हैं जितने जरूरी तुम जितना जरूरी मछलियों के लिये पानी जितना जरूरी मोर को नाचने के लिये बादल जितना जरूरी सूर्यमुखी के खिलने के लिये सूरज जितना जरूरी चकवा के जीने के लिये चकोर जितना जरूरी एक अँधेरी रात के बाद एक सुहानी भोर Kadambari Kishore

अवशेष

अवशेष इस बात का प्रमाण हैं सभ्यताओं के साथ जो भी हुआ अचानक हुआ, पीड़ादायक हुआ उन्हें मौका नहीं दिया काल ने संभलने का लेकिन मनुष्य से सभ्यताएं बनती हैं मनुष्य का जीवन कल के काल-चक्र का अवशेष नहीं Kadambari Kishore

बेहतरीन

वे पल बेहतरीन हैं जब मैं और तुम दो अलग-अलग व्यक्तित्व होते हुए भी एक साझा सपना बुनते हैं जिसमें धोखा नहीं, झूठ नहीं दोहरा हमारा रूप नहीं प्रेम है आकर्षण नहीं अपनी सीमाएं हैं वासना नहीं इन भाव में हम बेहतरीन प्रेमी हैं Kadambari Kishore

लफ्ज़

हर बात जो सुन लेते हैं ख़ामोशी से ये इक अदा भी हो सकती है जरूरी तो नहीं जो गुनहगार हो वो ही खामोश रहे जो लफ्ज़ों को बुनने का हुनर जानता है वो अक्सर खामोश ही रहता है Kadambari Kishore

अच्छा लगता है

अच्छा लगता है जब तुम खुद के लिए खुद कॉफी बना लेती हो इतरा कर खुद से खुद ही पूछ लेती हो ‘चीनी कितनी डालूँ आज ब्लैक कॉफी ही बनाऊँ ‘ और खूबसूरत लगती हो जब खुद की नज़र खुद उतारकर खुद ही काला टीका लगा लेती हो आज क्या पहनूँ ? ये कहकर खुद… Continue reading अच्छा लगता है

प्रेम

प्रेम में या प्रेम पर सर्वाधिक कविताएं उन कवियों ने लिखीं जिन्हें प्रेम ने कभी योग्य नहीं समझा या फिर उन्होंने लिखीं जिन्हें प्रेम के बदले में कुछ भी नहीं मिला Kadambari Kishore

वाजिब है

टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर चलते -चलते जब सरल-सपाट रास्तों से सामना हो तो कुछ पल को अवाक रह जाना लाज़मी है, वाजिब है पैरों को ठोकरें ही इतनी लगीं हैं डर जाना वाजिब है लेकिन अच्छा नहीं है डर कर रूक जाना Kadambari Kishore

विकास क्रम

मानव सम्भ्यताओं को मापा गया नदी-घाटियों से नहीं मापा गया तो बस ये मानव सभ्यता के विकास क्रम में नदी-घाटियाँ किस बदलाव के क्रम से गुजरीं Kadambari Kishore

लड़कियाँ जो भूल जाती हैं

लड़कियाँ जो भूल जाती हैं पारिजात, रातरानी के पौधे लगाकर छोड़ आती हैं घर जहाँ वो चली थीं पापा की उँगली पकड़कर संभाली थी माँ की रसोई जहाँ बाँधी थी भाई को राखी ज़िन्दगी की दौड़ भाग में भूल जाती हैं जब तब वो पौधे अपने फूलों की खुशबू से महका देते हैं आँगन और… Continue reading लड़कियाँ जो भूल जाती हैं

किरदार

कविताओं की दुनिया में कल्पनायें बहुत हैं कहानी की दुनिया में हकीकत ज्यादा है वैसे ये कहने की बातें हैं कल्पना और हकीकत सब जगह कमोबेश कम ज्यादा हैं हर फर्क़ बस इतना कहानी में किरदार छुप नहीं सकते कविता में श्रृंगार ज्यादा है लेकिन अब कलम कहती है लिख दे जो लिखना चाहे तेरे… Continue reading किरदार