नियम और वर्जनाएं किसी समाज के विकास के लिये हों तो सार्थक हैं, यदि ये किसी को नियंत्रित करने के लिये हों तो चिरकाल तक स्थायी नहीं हो सकतीं फिर कोशिश किसी समाज, विचार या किसी सोच या किसी जीवन को नियंत्रित करने की हो ये अपने जीवन तत्व का प्रवाह ढूंढ ही लेती है… Continue reading वर्जना
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परिचय
स्त्री की पहचान… एक बेटी.. एक बहन… एक पत्नी.. या फिर प्रेमिका या माँ या फिर चरित्रवान या फिर वेश्या इन सबसे भी अलग एक पहचान है उसकी क्योंकि उसके सीने में चलती सांस है उसकी उसकी भी खुद से जुडी़ आस है उसकी आप चाहे जिस नज़र से देखें अपनी नज़रों में सम्मान है… Continue reading परिचय
दुनिया
कई दिनों से ऐसा लगता है जैसे कोई कानों में कह रहा है जैसे कोई बिना रुके मुझको दस्तक दे रहा है निकल इस समाज के बने घेरे से बाहर देख वक्त तेरी ओर देख रहा है अब छोड़ पीछे कौन तुझे क्या बोल रहा है देख वक्त की आँखों में आँखे डालकर ये माशूक… Continue reading दुनिया
खामोशी
सवाल जितने तीखे हों खामोशी भी उतनी ही गहरी हो क्यूँ कि सवाल करने में कुछ नहीं जाता सवाल के जवाब के कांधो पर दारोमदार है तहजी़बों और रिश्तों का Kadambari Singh
शायर
जब सारा आलम सोता है ये मन दीवाना सा होता है इस दीवानगी के आलम में एक शायर मेरे भीतर से इस खचाखच भरी दुनिया में बड़े ही चुपके से बाहर पाँव धरता है इधर-उधर की सारी नब्जे़ हौले-हौले टटोलता है इन नब्जो़ को पुरनम समझने की कशमकश में जो बातें- हालातें वो बयां करना… Continue reading शायर
सहेलियाँ
न हो बेशुमार दौलत फिर भी अमीर होती है सहेलियाँ न हो बेशुमार वक्त फिर भी बेवक्त वक्त निकाल लेती हैं सहेलियाँ न कहो कुछ भी,हंसी में शिकन तलाश लेती हैं सहेलियाँ हर दर्द पर मरहम लगा देती हैं सहेलियाँ कुछ नये सपने दिखाकर उनमें रंग भर देती हैं सहेलियाँ चुप रहो! ये कहकर हर… Continue reading सहेलियाँ
इश्क़
इश्क़ किसी से भी नहीं हो सकता जो किसी से भी हो जाये तो यकीनन वो इश्क़ नहीं हो सकता | Kadambari Singh
औरतें
सबकी लम्बी उम्र की दुआएँ मांगती हम औरतें सबकी सलामती की दुआएंँ मांगती हम औरतें बस मायके से ससुराल और ससुराल से मायके आती- जाती हम औरतें राखी से तीज,करवे मनाती हम औरतें कभी सोचा है कितनी उदार, वत्सला, जीवनदायिनी होती हैं हम औरतें ‘बाबा एक बात सुनो’ कहकर पिता की लाज रखती हम औरतें… Continue reading औरतें
वाद
वाद शब्द में ही विवाद है जिस शब्द में जुड़ जाता है उसे विवादित बना देता है फिर चाहे वो स्त्री हो या पुरुष फिर चाहे राष्ट्र हो या धर्म या फिर समाज या फिर धन वाद जोड़ते जाइये इन शब्दों में विवाद मिलता जायेगा Kadambari Singh
नशा
दुनिया जो हमें वली समझे बैठी है कैसे समझाऊ उसे बादाख्वार हैं हम नशा शराब का नहीं लेकिन तेरे इश्क़ का तो है ही वली- धर्मगुरु, बादाख्वार- शराबी Kadambari Singh