आज तक इश्क़ औ मोहब्बत को एक ही समझे बैठे थे वाइज़ भी यही समझाते रहे थे शुक्र है खुदाया तूने बता दिया इश्क़ में चाह है लेकिन मोहब्बत में कोई चाह नहीं इसलिए शायद मुहब्बत सबके बस की बात नहीं Kadambari Singh
Category: Uncategorized
इतिहास
बीता हुआ कल किसी देश , सभ्यता , संस्कृति व्यक्ति या किसी व्यक्तित्व को और अधिक समृद्धशाली बना सकता है दूसरों के हृदय में सम्मान और जिज्ञासा जगा सकता है किसी भी देश की सभ्यता , संस्कृति , साहित्य का इतिहास इस बात की जिंदा और पुख्ता मिसाल है | Kadambari Singh
हस्ताक्षर/ दस्तखत
वक्त बड़ा चालाक है कुछ सुनहले हर्फें लिखकर मेरे दस्तखत ले लिये और तकदीर को बहकाने लगा अपनी नादानी को अपनी समझदारी समझने लगा लेकिन ये गौर फरमाना भूल गया ” चंद हर्फों पर दस्तखत किये हैं मैंने वसीयत नहीं लिखी, वो बाकी है अभी बाद मरने के वसीयत की ही कीमत होती है कोई… Continue reading हस्ताक्षर/ दस्तखत
कविताएं
कविताएं शब्दों की अवली मात्र नहीं इनमें सुख-दुख के पल हैं कुछ समस्याओं के हल हैं कुछ आने वाले पल की कल्पनाएं हैं जो यार पीछे छूट गये उनके लिये दुआएं हैं जो साथ आ गये उनके लिये भी दुआएं हैं हर पल में छुपी अनंत सम्भावनाओं का भंडार है कविताएं शब्दों की अवली मात्र… Continue reading कविताएं
कलाम
इश्क़ गा़लिब के कलाम सा होता है जिसने समझ लिया वो वाह कहेगा जो ना समझ सके वही शायर से सवाल करेगा Kadambari Singh
खामोशियाँ
हर पल हर घडी़ बेचैनी बढ़ती रही लेकिन वो मौन खडी़ रही शंका की ओढ़नी ओढे़ घर की मुंडेर को निहारती रही वक्त के भारी कदमों की आहट को पहचानती रही लेकिन घर-आँगन में उम्मीद के दीये जलाती रही वो अपनी खामोशियों को समझाती रही तुममें केवल दर्द नहीं, आस और प्यार भी है Kadambari… Continue reading खामोशियाँ
भेद
मतभेद सुलझ सकते हैं मनभेद हुआ तो क्या होगा ? मतभेद गवाह है कुछ मतों की मनभेद की गवाही कौन देगा ? मतभेद में हम मित्र या शत्रु हैं मनभेद में रिश्ता कौन सा होगा इसलिए मतभेद हो यही बेहतर सबकुछ ना हो तो भी कुछ तो होगा Kadambari Singh
नभ
नभ में सदैव सूर्य और प्रकाश गगन में सदैव चारु और उसकी किरणें आसमान में सदैव जलद और तडित अम्बर में सदैव तारे और नीर ही नहीं रहते लेकिन सबका अपना हिस्सा है सबका अपना किस्सा है जो मिला वो सौभाग्य है जो मिलेगा वो आ रहे कल का हिस्सा है | Kadambari Singh
आईना
कुछ बातें समाज का आईना होती हैं जिसमें उस समाज का चेहरा हूबहू दिखता है कई बार इसका चेहरा बहुत खूबसूरत होता है कई बार थोड़ा कम खूबसूरत लेकिन हर बार वक्त के आईने में कुछ ना कुछ ज़रूर दिखता है जो वक्त के आईने में दिखता है सुख़नवर वही लिखता है | Kadambari Singh
सुकून
अजब इज़्तिराब में काटी हयात सुकून है अब कि हयात को थोड़ा सुकून तो मिला जो थोडे़ ख़्वाब हैं अधूरे वक्त की दुआ से वो भी हो जायेंगे पूरे इज़्तिराब-बेचैनी, हयात- जिंदगी Kadambari Singh