कब तक अपने ख्वाबों को ख्यालों की जमीन पर बोइये अब वक्त है हकीकत की जमीन पर इन्हें उगाइये क्या छूट गया पीछे भूल जाइये जो है आज सामने उसे सच मानिये गले लगाइये Kadambari
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कागज़
कागज़ कलम सा रिश्ता है मेरे- तेरे बीच एक दूजे के बिन अधूरे लेकिन पास होकर भी साथ नहीं बदल दो इस रिश्ते को क्यूँ ना हम बादल और पानी हो जाएं जहाँ हों, जिस हाल में हों साथ-साथ ही हों Kadambari
शिक्षा
एक देश को सशक्त उस देश की शिक्षा व्यवस्था बनाती है एक समाज को सशक्त उस समाज की सुलझी-विकसित सोच बनाती है एक परिवार को सशक्त आपसी सहयोग और प्रेम बनाती है एक मकान को घर उसमें रहने वालों का आपसी सामंजस्य बनाता है ये सब जान- समझ कर मैं क्या कर रही हूँ ?… Continue reading शिक्षा
उलझा-सुलझा
मसला बहुत उलझा नहीं लेकिन सबकुछ सुलझा भी नहीं प्रश्न है मेरे मन में प्रेम इतनी आसानी से हो जाता है क्या ? या वासना ने प्रेम का चोला पहन लिया है ? प्रेम सबसे तो हो नहीं सकता सम्मोहन हो सकता है इस सम्मोहन के सम्मेलन को प्रेम का आगमन और विस्तार कहते हैं… Continue reading उलझा-सुलझा
अमानत
जो सांस किसी की सांस की कीमत पर मिले वो सांस अपनी नहीं होती उसकी अमानत है जिसने अपनी सांसे दीं Kadambari Singh
रबाब
तेरा होना रबाब के धुन की मौजूदगी सी है सब जानते नहीं सब समझते नहीं सबको तू दिखाई तो देता है सब तुझे सुन तो सकते हैं लेकिन रबाब की धुन की तरह सब तुझे महसूस कर पाते नहीं तू खुदा है या यार लोग फर्क कर पाते नहीं वैसे ही जैसे रबाब अच्छा है… Continue reading रबाब
मुक्कमल
पूरे होने की चाह में अधूरा रहना आसां तो नहीं लेकिन किसी का भी होना कोई मुक्कमल जहां तो नहीं आज अधूरे हैं लेकिन अधूरे ही रहें ऐसे कभी कहा तो नहीं बस एक मुक्कमल ख्वाब की ताबीर में एक मुक्कमल जीस्त की राह में पूरे होने की चाह में अधूरा रहना आसां तो नहीं… Continue reading मुक्कमल
धुंध
परेशानियों के कोहरे में इश्क़ की धुंध ढूंढ ली जीने के लिये पूरा रास्ता ना मिला तो तेरे कदमों की छाप ढूंढ ली अरमानों के समंदर में ख्वाबों की एक धार ढूंढ ली Kadambari Singh
रूधीर
जिस तरह हृदय को धड़कने के लिये मात्र श्वास नहीं रूधीर का अविरल प्रवाह भी चाहिए उसी तरह जीवन को जीने के लिये मात्र सांसारिक वस्तुएं नहीं इन सबसे परे खास रिश्तों का अपने पास होना चाहिए Kadambari Singh
जीवन
जीवन के हर क्षण को इस तरह जीया जाना चाहिए कि आने वाले क्षणों को भी हमसे मिलने की व्याकुलता रहे जैसे झरना नदी से और नदी जलधि से मिलने के लिये व्याकुल रहती है Kadambari Singh