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मोल
नाम/बदनाम
बसंत
इस बार कुछ तो खास है कुछ नयी बात है बरसों से रुठे पल हिमगिरी में दबे पल को घर लौटने की आस है बसंत को भी इस बार ‘बसंत ऋतु’ से आस है Kadambari
क्षितिज
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धरती या आकाश
धरती या आकाश ? तू पूछे कभी काश!!! खुदा कभी मुझसे तो झट से कह दूँ मैं मुझे बनना है आकाश क्यूँ बनना है तुझे धरती नहीं आकाश ? तू पूछे मुझसे खुदा कभी काश !!! तो झट से कह दूँ मैं अपने आँचल में समेटे हैं मैंने वर्षा , शीत और पतझड़ में टूटे… Continue reading धरती या आकाश
साया/ हमसाया
साया ही है हमसाया घूप-छाँव से फंसती निकलती अपने-पराये से बचती निकलती सुख में हों या दुख में हर पल अपना साथ है देती ज्ञानी- अज्ञानी, गुणी-निर्गुण, स्वच्छ-निर्मल सब परिभाषा से परे साथ है देती साया इसलिए है साया हमसाया Kadambari
पैसा
पैसा कैसा है ? बिल्कुल उस सजी- संवरी युवती की तरह जिसे हर युवक पाना चाहे या फिर जाने-अनजाने उसके मोहपाश में बंधता जाये या किसी आकर्षक युवक की भाँति जिसकी उपस्थिति मात्र ही युवतियों का चित्त विचलित कर दे!!!! Kadambari
लकीर
कुछ रिश्ते जिस्म पर लकीरें छोड़ जाती हैं जो वक्त के दिये खरोंचो की तरह चुपचाप से जिस्म पर पडी़ तो रहती हैं लेकिन एक याद की तरह और कुछ रिश्ते जिस्मों की परिभाषा से परे होती हैं ऐसे रिश्तें भी लोग जीते तो हैं जो जिस्म पर खुदी कहानियाँ हैं Kadambari