पिता ने पंख नहीं लिये भ्राता ने पिंजरा नहीं खरीदा पितृसत्ता में ये मौलिक अधिकार बाकी रहें तो खुशनसीब हैं हम लड़कियाँ Kadambari Kishore
Author: Kadambari Singh
आत्मसात
वैधव्य काल की क्रूरता है सुअवसर, सुनिर्णय नहीं इसके बाद देखने को मिलते हैं अनगिनत रंग श्वेत रंग के साथ Kadambari Kishore
तितली रानी
तथागत तुम आते तो…
तथागत फिर आओ संभव हो तो!! जानना है मुझे प्रेम के बदले वियोग सम्मान के बदले अपमान प्रशंसा के बदले कटाक्ष, आक्षेप, व्यंग्य मौन के बदले चीख त्याग के बदले वनवास सत्कार के बदले दुत्कार क्यूँ मिला? जबकि तुम कहते हो ” जो बोया वही काटोगे “ जिसे बोया नहीं, उसे फिर कैसे काटा ?… Continue reading तथागत तुम आते तो…
फलक
खामोशियाँ जिस दिन पढ़ ली जाएंगी उस दिन सौ मुश्किलें बिना कहे आसान हो जाएंगी अदालते भी गवाही और गवाह के रस्म से बरी हो जाएंगी उफ़!!!!! ये शौक मेरे अजीबो- गरीब मुझे ज़मीं से फलक तलक लेकर जाएंगी। Kadambari Kishore
मेरे लिये
मुझे ज़िन्दगी से शिकायतें इसलिये थीं क्यूंकि मुझे उम्मीद खुद से कम, सपनें दूसरों के लिये ज्यादा थे और अब हर उम्मीद, सब सपनें मेरे मुझ से ही मेरे लिये हैं जो ज़िन्दगी को ज़िन्दा रखने के लिये ज़रूरी थी Kadambari Kishore
चौखट
काल से बचकर गर कल निकल आये इसका अर्थ है सुनहरा समय आ रहे कल की चौखट पर खड़ा है Kadambari Kishore
आभास
जीवन जब मृत्यु से ज्यादा कठिन लगे उस क्षण में जीवन का चयन सरल नहीं, सबसे कठिन निर्णय है जहाँ केवल यह ज्ञात है कि आपकी साँसों ने साथ नहीं छोड़ा आ रहे और आनेवाले पल का कोई भान नहीं Kadambari Kishore
देख कबीरा रोय
ऐसी बानी बोलिये मन भी आपा खोय आपहुँ को बावरा करे जग भी बावरा होय बानी की यह कुगति-दुर्गति देख कबीरा रोय दो पाटन के बीच में साबुत रहन दे मोय । ****************************** नौ सौ चूहे मारकर हम हज पर जायेंगे कोई हमें हाजी कहे ना कहे अपनी पीठ खुद ही थपथपाएंगे। Kadambari Kishore
सीप में मोती
कभी पढ़ ली जाती हैं खामोशियाँ भी और कभी शब्द भी बेजुबां से रह जाते हैं है रह जाता बहुत कुछ आते -जाते लम्हों में कभी -कभी एक लम्हें में बहुत कुछ रह जाता है एक लम्हें में बहुत कुछ का रह जाना है सीप में मोती का रह जाना Kadambari Kishore