वाद शब्द में ही विवाद है जिस शब्द में जुड़ जाता है उसे विवादित बना देता है फिर चाहे वो स्त्री हो या पुरुष फिर चाहे राष्ट्र हो या धर्म या फिर समाज या फिर धन वाद जोड़ते जाइये इन शब्दों में विवाद मिलता जायेगा Kadambari Singh
Author: Kadambari Singh
नशा
दुनिया जो हमें वली समझे बैठी है कैसे समझाऊ उसे बादाख्वार हैं हम नशा शराब का नहीं लेकिन तेरे इश्क़ का तो है ही वली- धर्मगुरु, बादाख्वार- शराबी Kadambari Singh
शिखर
सफलता के शिखर पर पहुँचने की तमन्ना है और इस तमन्ना को पूरी करने की कोशिश में मेरी शब-ओ-सुबह है मैं उस जगह से देखना चाहती हूँ दुनिया ताकि जान सकूं मशहूर और गुमनाम इंसा की दुनिया में इतना फर्क क्यूँ है, ऐसा फर्क क्या है | Kadambari Singh
इमरोज़
जिदंगी ने जब भी दिल से पूछा है ” बता तुझे क्या चाहिए” हर बार दिल से एक ही आवाज़ आयी है ” मुझे इमरोज़ चाहिए” Kadambari Singh
भय
भय क्या है ? किस बात का है ? किससे है और क्यों है ? प्रेम की अनुपस्थिति भय है | विश्वास का कम होना भय है | जिस आने वाले कल का हमें कुछ ज्ञात नहीं उस आने वाले कल की कपोल कल्पना भय है | भय हमें है अपनी ही कमजोरियों से और… Continue reading भय
प्रतिलिपि
असंख्य चेहरे अनेकों भाव अलग-अलग व्यक्तित्व अलग-अलग स्वभाव ये समझकर भी हम कई बार किसी एक व्यक्ति की प्रतिलिपी ढूंढ़ते हैं और यदि वो मिल जाये तो स्वयं के मन की लिपि में बहुत कुछ यूं कहें तो सबकुछ कह जाने की कोशिश की अनुभूति की प्रतिलिपी सम्भव हो तो असंख्य असम्भावनाओं को एक प्रतिलिपि… Continue reading प्रतिलिपि