वो जीती रही समाज के नियमों के अनुसार इस सोच और ड़र से समाज देगा प्रमाणपत्र और अपनी ओछी हरकतों को छुपाने के लिये अपनी करतूतें कर देगा सब कुछ उसके नाम फिर उसने गौर से समाज का चेहरा देखा तो उसने जाना ‘जिस समाज का कोई चरित्र स्वयं नहीं, क्या उसके प्रमाणपत्र की जरुरत… Continue reading प्रमाणपत्र
Author: Kadambari Singh
हुनर
जो खामोश रहते हैं वो लफ्जों को पिरोने का हुनर जानते हैं जो शोलों में जलते हैं वो मरहम का मर्म जानते हैं जो खाते हैं धोखे वो वफादारी की कीमत जानते हैं जो चले मीलों सेहरा में वो बहारों की कीमत जानते हैं जो जीते हैं हिज्र में वो वस्ल की अहमियत जानते हैं… Continue reading हुनर
सारा आसमान
थोड़ी सी खुशियों के लिये वक्त ने पसार दिये आसमान आँचल में इस उम्मीद से कि वो नाउम्मीद ना हो कुछ नायाब हीरे डाले उसके आँचल में कि अंधेरी-अकेली रातों में वो गुम ना हो कुछ अजनबी से दोस्त दिये कि अपनों के छोड़ जाने का उसे दर्द ना हो वस्ल से महरुम रखा कि… Continue reading सारा आसमान
सबूत
Untitled
कयामत
आँगन
बहुत याद आते हैं घर के आँगन, आँगन में बोये अपनी नन्हीं हथेलियों से बाबुल के हरे-भरे घर के सपने अपने भाईयों के लिए लगाये अमलतास के जैसे खुशियों के पेड़ बहनों के साथ नोक -झोक में सजाये मायके से ससुराल और ससुराल से मायके एक सक्षम , समृद्ध नारी के ताने-बाने अपने लिये भी… Continue reading आँगन
रुसवाई
गोरी/ साँवरी
बाबा ने कभी ना कहा ‘ तू गोरी नहीं, क्यूँ भई साँवरी ?’ अम्मा ने कभी ना दिये ताने ‘ मेरी किस्मत पर है तू भारी ‘ लेकिन देहरी जब लांधी घर की तो जाना भई मैं तो हूँ साँवरी फिर खूब लगायी दूध – मलाई कि हो जाऊँ गोरी फिर दिमाग में एक सवाल… Continue reading गोरी/ साँवरी
शहर में सहर
शहर में सहर होना सूरज के दीदार, नयी सुबह के आगाज़ से ज्यादा रोटी कमाने के जुगाड़ से होता है ये सूरज भी हद दर्जे तक इंसा के साथ बावफा है हमें खुद के लिये वक्त नहीं और ये हमसे मिलने रोज चला आता है Kadambari सहर- Morning बावफा- Loyal