फुर्सत

जिसे फुर्सत हो ज़िन्दगी की नौकरी से वो रखें शिकायतें किया करें गिले- शिकवे कुछ लोगों को तो मोहलत ही नहीं तेरे नखरे उठाने से

एक

सबसे सुन्दर ख्वाब एक नाव, एक नदी एक मज़िल और एक साथ हमदोनों

कल रात

कल रात जो सारी रात वह पहाड़ों को तोड़ती रही दरअसल वह सपना नहीं वह बीते कल के पत्थरों को तोड़ रही थी जो उसके आज के मार्ग की बाधा थी

बीज

बीज जब धरती में आँखें मूंदे सोती है वह सोती नहीं तब अपने-आप को तैयार करती है अपने कल के लिए

पेड़ अच्छे होते हैं

पेड़ शिकायत नहीं करते ये कभी दो भाव भी नहीं करते देते-देते नहीं थकते देने से मना भी नहीं करते पेड़ अकेले हों या जंगलों में अपना तरीका नहीं बदला करते सलीका कभी नहीं भूलते पेड़ अच्छे होते हैं पेड़ इतने अच्छे क्यूँ होते हैं ?

घेरा

कल के काले घेरे गर घेरे ही रहेंगे तो उसकी काली छाया से आनेवाला कल भी धुंधला हो जायेगा

बातें बातें ही रह जातीं

सब बातें बातें ही रह जाती गर वे तुमसे नहीं कही जातीं फिर एक दिन कह दीं सब बातें तुमसे और वे सब बन गईं अफ़साने कभी ना खत्म होनेवाला अफ़साने

अमीर

अमीरों को ही बुलाते हैं अमीर अमीरों की दावत में कोई गरीब नहीं देखा लेकिन खुदा के दर पर जाते ही सिर्फ गरीबों को ही ढूंढते हैं अमीर यानि खुदा को भी खुद से ज्यादा समझदार नहीं समझते हैं अमीर

कांच की तरह

सब कुछ छोड़ कर निकलनेवाली जरूरी नहीं किसी के प्रेम में सब कुछ छोड़ कर निकले कई बार चकनाचूर सपनों के के टुकड़े चुभते हैं टूटे कांच की तरह

है ना!!!!

जब मैं कहूँ ‘ना ‘ तो बिन कहे ‘हाँ’ उसे हाँ मान लेना सिर्फ तुम समझते हो बाकी सब के लिए है ये ना बस यही एक बात तुम्हें ख़ास बनाती है है ना !!