सब कुछ

जब कुछ नहीं कहते

जब कुछ कहते हैं हम

दोनों में ही प्रेम, घृणा

वात्सल्य, ईर्ष्या

पश्चाताप या आलस्य का भाव हो सकता है

जो इसे पढ़ सका, जान सका

उससे क्या छुप सका

Kadambari Kishore

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