सर्कस

समाज के लिये जीना

बिल्कुल सर्कस के पिंजड़े में बंद

जिंदगी सी है

क्यूँ जीये

क्यूँ नाचे

क्यूँ नचाये गये

सबके सामने

ये बताने और जानने वाला कोई नहीं

जितने ज्यादा नचाये जाएंगे

उतनी तालियाँ पायेंगे

लेकिन सब के बाद

थक कर

मन बाहलाकर सबका

दो सूखी रोटी पाएंगे

जब वाइज़ और शैख जी

समझाने आएंगे

तब उन्हें ये बताइये

एक दिन उनके कारनामे

दुनिया के सामने आएंगे

और उठा रखा है जिन्होंने दुनिया का ठेका

घड़ा भरा तो कई रंगीन

अफ़साने उनके भी बाहर आएंगे

बस फिर देखिए

आप अपनी जिंदगी अपने दम पर जी पाएंगे

Kadambari Kishore

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