कविताएं

माँ को जब से देखा

रसोई में देखा

जब रसोई में नहीं देखा

तब जाकर कहीं और

घर के किसी और कोने में देखा

और पिता धूप -ताप सब सहते देखा

सुख -दुःख में अड़िग साथ खड़े देखा

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भीड़ साथ नहीं देती

पहचान भी नहीं देती

अकेले चलने में

साथ और पहचान दोनों अपनी है

Kadambari Kishore

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