रेत पर छाप

नदी किनारे कभी निहारा है

नदी के दोनों पाटों पर पसरी रेत को

कोई निशान नहीं दिखने देती अपने ऊपर

जबकि सच यह है

वक़्त के साहिल से गुजरी

हर चीज एक छाप छोड़ जाती है

रेत की छाती पर

Kadambari

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