जो राहें मुझे आवाज़ देती हैं
उन राहों से कहो कोई
मुझे आवाज़ ना दें
मैं बहुत दूर निकल आयी हूँ
उन राहों में जो कल के निशां हैं
उन पर वक़्त की मिट्टी डाल आयी हूँ
अब मैंने सीख लिया जीना सर्पों से
जिंदगी और उसकी खुशियों के लिए
सर्पों के जैसा कल का केचुल छोड़ आयी हूँ
मैं बहुत दूर निकल आयी हूँ।
Kadambari