चरैवेति चरैवेति

अमावस की रात से भी काली रात थी वह, जिस रात का आना भी उसके हौसलों को कुचल ना सका | एक बदलाव जरूर था कि सब कुछ एक पल में बदला हुआ था , ठीक वैसे ही जैसे बदलाव आता है एक भयंकर चक्रवात के बाद |वो स्तब्ध खडी़ थी जैसे पेड़ खडे़ रहते हैं मौन तूफान के बाद |

फिर आंरभ हुआ फायदे और नुकसान का आकलन जैसे मौसम विभाग करता है |बस एक फर्क था यहाँ जिस चीज का आकलन किया जा रहा था वह मौसम नहीं एक मनुष्य के जीवन का आकलन था तब जब उसे साथ और सहयोग की जरूरत थी |

कुछ समय बीता लेकिन उस बीतते समय में

क्या कुछ बीता ? ये केवल वह जानती थी इसलिए इस समय को बदलने का निर्णय भी मात्र उसका था और वह निर्णय था ” चलते रहना- चलते रहना “

Kadambari

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