युद्धक्षेत्र

जब समय एक समय रेखा खींच दे

जब कठोरता अपने कठोरतम रूप में

अपनी मुट्ठी भींच ले

जब समय शत्रुवत मित्र सा करे

जब स्वप्न आकुल हों चक्षुओं को छोड़ जाने को

तब समय से ना शत्रुता ना मित्रता

तब योद्धा और केवल योद्धावत

व्यवहार उचित है

नर-स्त्री से परे

वीर या वीरांगना की भांति

समय का सामना ही सर्वोत्तम है

Kadambari

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