कभी सोचा था
मौत इतनी शांत लेकिन
इतनी क्रूरतम रूप में आयेगी
कि अपनों को ना छूने देगी
ना ही जी भर कर रोने देगी
ना ही हम उनके साथ जायेंगे
उनकी आखिरी मंज़िल तक
ना ही हम ये कह पाएंगे कि
हम साथ थे उनके उनकी आखिरी सांस तक
कादंबरी
कभी सोचा था
मौत इतनी शांत लेकिन
इतनी क्रूरतम रूप में आयेगी
कि अपनों को ना छूने देगी
ना ही जी भर कर रोने देगी
ना ही हम उनके साथ जायेंगे
उनकी आखिरी मंज़िल तक
ना ही हम ये कह पाएंगे कि
हम साथ थे उनके उनकी आखिरी सांस तक
कादंबरी