मैं या हम

जिस तरह हम में हमेशा ‘हम’ नहीं होता

ठीक उसी तरह मैं में हमेशा ‘मैं’ नहीं होता

कई बार ‘मैं’ के अफसानों में ‘हम’ की कहानियाँ होती हैं

कई बार ‘हम’ के रिश्तों में हम सिर्फ अपने साथ होते हैं

लेकिन ये वो पल होते हैं जिनमें जी कर हम वो बनते जो हम कल हो सकते हैं

Kadambari Singh

प्रकाशित
कविता के रूप में वर्गीकृत किया गया है

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