मुलाकात

जिंदगी से मुलाकात की हर मिन्नतें

जिंदगी के साथ की हर मन्नतें

जिदंगी बडे़ अदब से ठुकराती रही

इसे तहजीब और अदब की तालीम नहीं

ये बात मैं खुद को समझाती रही

लेकिन उससे अदब से ही पेश आती रही

इसलिए शायद आज जिंदगी पूछ रही है

“क्यूँ तू हमारी तरफ आती नहीं

क्यूँ अपना हाल बताती नहीं”

हमनें मुस्कुरा कर रहा

जिंदगी तू कभी अदब से पेश आती नहीं

इसलिए मैं तुझे कुछ बताती नहीं

थोड़ी सी अदब की तालीम

तू भी क्यूँ सीख लेती नहीं ?

जिंदगी ने कहा- भूल कर सारे

गिले- शिकवे हम एक दूसरे को

गले लगा लेते हैं यहीं

Kadambari Singh

प्रकाशित
कविता के रूप में वर्गीकृत किया गया है

टिप्पणी करे