वो जीती रही समाज के नियमों के अनुसार
इस सोच और ड़र से समाज देगा
प्रमाणपत्र और अपनी ओछी हरकतों
को छुपाने के लिये अपनी करतूतें
कर देगा सब कुछ उसके नाम
फिर उसने गौर से समाज का चेहरा देखा
तो उसने जाना ‘जिस समाज का कोई चरित्र
स्वयं नहीं, क्या उसके प्रमाणपत्र की जरुरत है’
जो कभी उसके लिए उसके साथ था ही नहीं’
Kadambari