धरती या आकाश

धरती या आकाश ?

तू पूछे कभी काश!!!

खुदा कभी मुझसे

तो झट से कह दूँ मैं

मुझे बनना है आकाश

क्यूँ बनना है तुझे

धरती नहीं आकाश ?

तू पूछे मुझसे

खुदा कभी काश !!!

तो झट से कह दूँ मैं

अपने आँचल में समेटे हैं मैंने

वर्षा , शीत और पतझड़ में टूटे पत्तों को भी

अब अपनी ही धरती पर बन कर आकाश

दे दूँ उसे थोड़ा बादल , थोड़ा पानी

तारों की छाँव और सपनों के बीजों को

पनपने की आस

तू पूछे मुझसे

खुदा कभी काश!!!

Kadambari

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