घटना

कितना सरल है किसी अमानवीय कृत्य को

‘घटना’ कहना जाति, धर्म और सोच से जोड़ना लेकिन जिस पल, जिस पर घटी

होगी कितना कठिन है उस पल को जी पाना

उस पल को झेल पाना , उस पल के बाद जी पाना, समाज के ताने-बाने से लड़ पाना

क्यों हर बार ऐसा होता है ? ये समझ पाना

क्यूँ नहीं सीखाते हम पुरुष को मानव बन पाना

Kadambari

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