बिम्ब

नदी का किनारा

खामोश उसकी धारा

उस पर चाँद दाग के साथ

इतराता प्यारा-न्यारा

चाँदनी का उम्मीद से नाता न्यारा

जुगनुओं का पहरा हो जैसे हर पल सारा

चाँदी सी चमकती मछलियों का धारा में

बिम्ब मन को हरता पल-पल

सेज सा बिछा दूर्वा का चादर तट पर

और उस पर चाँद का प्रतिबिम्ब

सहज, सरल, साफ

बस नहीं तो तू या तेरे- मेरे होने का अहसास

कोयल और मैं साथ-साथ

Kadambari

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