स्वांग

एक लम्बी ज़िन्दगी

डर कर गुजारी है

लोग कुछ भी बोल देंगे

कुछ भी सोचेंगे

क्या सोचेंगे ?

सोचियेगा जिसे इस डर में

समाज ने जिंदा रखा

वो समाज खुद भी जिंदा है

या ज़िन्दा होने का स्वांग करता है

Kadambari Kishore

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