न हो बेशुमार दौलत फिर भी अमीर होती है सहेलियाँ
न हो बेशुमार वक्त फिर भी बेवक्त वक्त निकाल लेती हैं सहेलियाँ
न कहो कुछ भी,हंसी में शिकन तलाश लेती हैं सहेलियाँ
हर दर्द पर मरहम लगा देती हैं सहेलियाँ
कुछ नये सपने दिखाकर उनमें रंग भर देती हैं सहेलियाँ
चुप रहो! ये कहकर हर बात सुन लेती हैं सहेलियाँ
उम्र, रिश्ते, ओहदे से अलहदा होती हैं सहेलियाँ
Kadambari Singh