जैसे बनती है चाय घरों में
दूध, पानी, चीनी और चाय की पत्ती डालकर
पतीला रख दिया जाता है
धीमे – धीमे उबलने के लिए
या जैसे माएँ भूल जाती हैं
पतीला चूल्हे पर रख कर
इस तरह, हर तरह से बन ही जाती है चाय
मैंने वैसे ही वक़्त के चूल्हे पर
शब्दों के पतीले में
कविताओं की चाय रखी है
Kadambari Singh