मैं चाँद नहीं, जो पृथ्वी का चक्कर लगाऊँ
मैं चाँद नहीं, जो सूरज से माँग रौशनी
शुक्ल पक्ष में इतराऊँ, पूरे नभ की सैर कर आऊँ
और कृष्ण पक्ष में फिर सूरज से
रौशनी की गुहार लगाऊँ
मैं चाँद नहीं, जो बिना सितारा अपना श्रृगांर
अधूरा कहकर जग से अनुकम्पा की गुहार लगाऊँ
मैं चाँद नहीं, जो बिना चकोरा अस्तित्व विहीन
मैं कह मर जाऊँ
मैं सूरज हूँ , अपना प्रकाश पुंज स्वयं हूँ मैं
आदि से अंत तक हूँ मैं
व्यथा से परी कथा सबमें चीर हूँ मैं
Kadambari