तूफानों में कश्ती की रफ्तार नहीं
मझधार में मांझी का हुनर परखा जाता है
तूफान में कश्ती डूबे ना बस चल जाये
मन्जिल तक
तूफान से जब निकलेगी, हवा रफ्तार जब
पकडे़गी नाव पानी के साथ खुद-ब-खुद
आँख मिचोली खेलेगी
फिर मांझी भी मझधार का
मझधार मांझी की हुनर का राज
खुद-ब-खुद खोलेगी
ये वक्त सब करवाता है
दुनिया का क्या ये सौ बात तो बोलेगी
फिर जब वक्त करवट बदलेगा
अपनी ही बोली बात से मुकरेगी
मांझी और मझधार की जुंबिश हर हाल
नहीं छूटेगी
Kadambari