दुनिया

कई दिनों से ऐसा लगता है

जैसे कोई कानों में कह रहा है

जैसे कोई बिना रुके मुझको दस्तक दे रहा है

निकल इस समाज के बने घेरे से बाहर

देख वक्त तेरी ओर देख रहा है

अब छोड़ पीछे कौन तुझे क्या बोल रहा है

देख वक्त की आँखों में आँखे डालकर

ये माशूक के जैसे तेरी इंतज़ार में खडा़ है

भूल सारे रंज-ओ-गम

भूला सारे दुनिया और वक्त के सीतम

वक्त भी तुझपे किये सीतम पर पछता रहा है

उठ कि तेरा वक्त आ रहा है

अरे!!!!! वो तो आ गया है

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