तथागत फिर आओ
संभव हो तो!!
जानना है मुझे
प्रेम के बदले वियोग
सम्मान के बदले अपमान
प्रशंसा के बदले कटाक्ष, आक्षेप, व्यंग्य
मौन के बदले चीख
त्याग के बदले वनवास
सत्कार के बदले दुत्कार
क्यूँ मिला?
जबकि तुम कहते हो ” जो बोया वही काटोगे “
जिसे बोया नहीं, उसे फिर कैसे काटा ?
या फिर इसलिये यह सब मिला
क्यूँकि “अपेक्षा दुःख का कारण है”
उम्मीद दूसरों से नहीं
स्वयं से की जाती है
तथागत तुम आते तो
भला होता।
Kadambari Kishore
बुद्धम् शरणम्।