उन्मुक्त उड़ान, उपयुक्त आयाम
ये तो सबका स्वप्न, हर मन का अरमान
लेकिन जीवन में सबकुछ नहीं मिलता
जो स्वप्न में हो, जो हो अरमान
यदि मानव बैठा रहे भाग्य पर देकर भार
मिलता नहीं है सबको सबकुछ
जब मानव ना माने हार
जीत निश्चित है उसकी
जो मौन हो, सह गया परिस्थिति की मार
क्योंकि ये मार नहीं, एक व्यक्तित्व को गढे
जाने को समय कर रहा प्रहार
उसकी जीत की सीमा है सबकी
कल्पना के पार
Kadambari