ज़िन्दगी समाज के घूँघट के पीछे से
मुझे ना देखा कर
जब तू ऐसे घूँघट की आड़ से
देखती है
तेरा रूप लुभावन हो तब भी
मुझे ज़रा भी रास नहीं आती है
Kadambari Kishore
ज़िन्दगी समाज के घूँघट के पीछे से
मुझे ना देखा कर
जब तू ऐसे घूँघट की आड़ से
देखती है
तेरा रूप लुभावन हो तब भी
मुझे ज़रा भी रास नहीं आती है
Kadambari Kishore